बूझो तो जाने-दिन में सोये,रात को रोये, जितना भी रोये, उतना खोये, बताओ क्या? ?

बूझो तो जाने-दिन में सोये,रात को रोये, जितना भी रोये, उतना खोये, बताओ क्या? ? जी पहली की आज हम बात कर रहे हैं। वह बहुत ही मजेदार पहेली है जिसको सॉल्व करने में आपको बहुत ही मजा आने वाला है।

बूझो तो जाने

पहेलियां आपने कई बार अपनी नानी के मुंह से कभी दादी के मुंह से कभी ना कभी सुनी होगी। पहेलियां एक दिमाग का खेल होता है जिसमें बहुत ही दिमाग लगाना पड़ता है, कई पहेलियां कुछ ज्यादा ही कठिन होती है जिसको सुलझाना बहुत ही मुश्किल होता है। जो पहेलियां पूछता है वही उसका संसार बता सकता है। पर जैसा कि अगर आप दिमाग लगाएं और इस पहेलियां को सॉल्व करने की कोशिश की तो यह पहेलियां , सॉल्व की जा सकती है तो ऐसे ही आपके लिए एक पहेली लेकर आए जो कि। इस पहेली का जो सवाल है दिन में सोये,रात को रोये, जितना भी रोये, उतना खोये, बताओ क्या?

बूझो तो जाने-दिन में सोये,रात को रोये, जितना भी रोये, उतना खोये, बताओ क्या? ?

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क्या आपको मिला

अगर आपको इस पहेली का जवाब मिल गया हो तो आपके लिए बहुत बधाई हो हमारी तरफ से। अगर आपको इस पहेली का जवाब नहीं मिला तो कोई बात नहीं है। इस पहेली का जो आंसर है वह हम आपको बता देंगे पर आप अगर एक बार और कोशिश करना चाहते हैं। इसे पहले को सुलझाने के लिए तो आप जरूर कोशिश कर सकते हैं। इस पहेली का जो आंसर है जो कई बार ऐसा होता है कि इस पहेली का आंसर अपने सामने ही होता है पर अपन ढूंढ नहीं पाते हैं। ऐसा ही इस चीज का भी आंसर है तो इसका उत्तर यह है।

उत्तर-मोमबत्ती

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