ये फसल किसानो के लिए किसी हरे सोने से कम नहीं, कर ली एक बार खेती तो होगा लाखों मुनाफा

ये फसल किसानो के लिए किसी हरे सोने से कम नहीं, कर ली एक बार खेती तो होगा लाखों मुनाफा भारतीय किसानों के सामने वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक आर्थिक चुनौती सबसे बड़ी समस्या है। पारंपरिक खेती से उन्हें उस मुनाफे की प्राप्ति नहीं हो रही है, जो उनकी मेहनत के मान्यतानुसार होनी चाहिए। इसी कारण से देश में किसान अब पारंपरिक फसलों की खेती छोड़कर ऐसी फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनसे उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है।

इन फसलों में मेंथा की खेती सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, जिसे भारतीय किसान हरा सोना के रूप में भी जानते हैं, क्योंकि यह आम फसलों की तुलना में तीन गुना अधिक मुनाफा देती है।
सिर्फ तीन महीनों में लखपति बनाएगी ये फसल
मेंथा की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि यह फसल तीन महीनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। इसलिए, यदि आप लगभग दस एकड़ भूमि में मेंथा की खेती करते हैं, तो मात्र तीन महीनों में आप लखपति बन सकते हैं। वास्तव में, मेंथा वनस्पतिक उत्पादों में आता है। इसके तेल का उपयोग विभिन्न औषधियों में होता है, इसलिए इसकी मांग बाजार में हमेशा रहती है।
यहाँ होती है भारत में मेथा की खेती
भारत में वर्तमान में मेंथा की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब में होती है। इन राज्यों में कई बड़े किसान मेंथा की विपणन और उत्पादन का अध्ययन कर रहे हैं और इससे हर साल अच्छी मुनाफा कमाते हैं। इसलिए सरकार अब इस फसल को बढ़ावा देने में लगी है, ताकि आम किसान भी इसे अपने कृषि प्रथानुसार खेती करें और इससे अच्छा मुनाफा कमाएं।

कब होती है मेथा की खेती
मेंथा की खेती के लिए फरवरी महीना सबसे उपयुक्त होता है। जून में इस फसल की कटाई की जाती है। यानी, मेंथा फसल तीन से चार महीनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस फसल को पारंपरिक फसलों की तरह अधिक सिंचाई और देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए उत्तर भारत के अधिकांश किसान इस फसल की खेती में रुचि दिखा रहे हैं।