Story of Chai Sutta Bar: चाय सुट्टा बार की शुरुआत इंदौर के 3 दोस्तों अनुभव, आनंद और राहुल ने की थी। शुरू में उनके पास 3 लाख रुपये थे और उन्हें लगा कि इन 3 लाख रुपये में सब कुछ आ सकता है। पैसा खर्च करने के बाद उसके पास बोर्ड लगाने के लिए भी पैसे नहीं थे। उसके बाद उन्होंने बचे हुए फर्नीचर के एक टुकड़े पर चाय सुट्टा बार लिखकर कारोबार शुरू किया।
जब लोग या निवेशक उनसे पूछते हैं कि आपकी शिक्षा क्या है, तो अनुभव कहता है कि हम जमीनी हकीकत के छात्र हैं। हमने जमीनी स्तर पर काम करके अपने कारोबार का अध्ययन किया है।
ये लोग युवा थे, इसलिए उन्होंने युवाओं को अपने लक्षित दर्शकों के रूप में माना और पहली दुकान ऐसी जगह खोली जहां सबसे अधिक संख्या में छात्र रहते हैं। इसलिए उन्होंने इंदौर के भावर कुंवा से अपनी दुकान शुरू की और वे चलने लगे।
आनंद ने शुरू में अनुभव से कहा था कि चल यार एक बड़े ब्रांड की फ्रेंचाइजी खरीदता है, लेकिन अनुभव ने कहा कि वह अपना खुद का बिजनेस खोलेगा और अपनी फ्रेंचाइजी बेचेगा। इसलिए लोग खुद उनके पास आने लगे और फिर उन्होंने अपना फ्रैंचाइजी मॉडल शुरू किया। ये लोग कहीं अपनी नई फ्रेंचाइजी खोल रहे थे तो उस दिन अनुभव उनके फेसबुक पर लाइव आ गया। अनुभव के एक रिश्तेदार ने उनका यह लाइव देखा और अनुभव के पिता को ताना मारते हुए हंसा कि तुम्हारा बेटा चाय बेचने लगा है।
अब अनुभव के पिता हैरान रह गए कि अनुभव के पिता पढ़े-लिखे हैं और वह चाय बेच रहा है और पिता उसी दिन छोड़कर अगले दिन इन लोगों की दुकान पर पहुंच गए। ये लोग जानते थे कि अनुभव के पिता आ रहे हैं। सभी लोग एक लाइन में खड़े हो गए ताकि अगर उन्हें डांटा जाए तो सभी इसका हिस्सा बन जाएं।
पिताजी ने सारी दुकान देखी और प्रसन्न मन से चले गए। इसका मतलब यह हुआ कि पिताजी भी इस अनुभव के काम से बहुत खुश थे। अब क्या कोई दिक्कत नहीं थी और चाय सुट्टा बार एक के बाद एक फ्रेंचाइजी खोलते रहे और आज भारत के 190 से अधिक शहरों में उनके 400 आउटलेट हैं। उन्होंने दुबई में एक आउटलेट भी खोला है।
चार साल के इस सफर में चाय सुट्टा बार 100 करोड़ सालाना टर्नओवर पर पहुंच गया है।
क्या है अनुभव दुबे की कहानी?
अनुभव दुबे ने रीवा शहर से 8वीं तक पढ़ाई की उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर शहर आ गया। वहां अनुभव आनंद और उसके दोस्त इंदौर के नोवाल्टी मार्केट से सेकेंड हैंड मोबाइल खरीदते थे और अपने सभी दोस्तों को चलाते थे। देते थे और बाद में उसी बाजार के बाहर उसी जगह बेच देते थे। इससे इन लोगों को फोन चलाने को मिलेगा और खूब मुनाफा भी होगा, जिससे इन लोगों को यकीन हो गया कि ये लोग आप बिजनेस कर सकते हैं और अगर आप बिजनेस शुरू करते हैं तो फंडिंग भी जुटा सकते हैं।
लेकिन कुछ समय बाद, आनंद ने अपने साले के साथ कपड़ों का व्यवसाय शुरू किया और अनुभव को उसके माता-पिता ने सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया। एक दिन अचानक आनंद अनुभव को फोन करता है कि हमारा पुराना धंधा अब बंद हो रहा है। और मैं चाहता हूं कि हम चाय का नया कारोबार शुरू करें। अनुभव अपने माता-पिता को बताए बिना 3 जोड़ी कपड़े लेकर इंदौर लौट आया। मैं जा चुका
चाई सुट्टा बार ने लोगों को अपनी ओर कैसे आकर्षित किया?
तय हुआ कि चाय का ही कारोबार शुरू करना है, लेकिन उसके लिए सबसे अच्छी जगह कौन होगी, ये लोग उसके लिए जगह तलाशने लगे। बहुत भटकने और खोजने के बाद, उन्होंने भंवर कुंवा पर अपना व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। यहां दुकान खोलना इसलिए तय हुआ कि यह दुकान गर्ल्स हॉस्टल के पास ही है। लड़कियां आती तो लड़के अपने आप आ जाते।
इनकी ये तरकीब काम कर गयी और इसके साथ ही इन्होने लोगों की भीड़ व माल्स में भी नयी नयी मार्केटिंग की तरकीब इस्तेमाल की l अनुभव और इनके दोस्त भीड़ में जाकर आपस में ही बात करते थे कि ये चाय सुट्टा बार आजकल बहुत चल रहा है l इस तरह उन्होंने बिना पैसों के लोगों में मार्केटिंग करना शुरू कर दिया और लोगों को ये नाम बार बार सुनने से याद हो गया
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