रामायण से चली आई संजीवनी बूटी, आज के समय में है जीवित है, सेवन कर लिए इस जड़ी बूटी तो बन जायेगे अमर, जाने कहाँ पाई जाती है ये संजीवनी बूटी…चलिए जानते है संजीवनी बूटी के बारे में।
जानिए संजीवनी बूटी के बारे में
संजीवनी बूटी के कई तरह के किस्से है जो की आज तक सुलझे नहीं है। संजीवनी बूटी एक ऐसी बूटी है जिससे लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय गए थे। उस जगह उत्तराखंडम में है उत्तराखंड के चामोली जिले में जोशीमठ शहर से लगभग 50 किमी दूर द्रोणगिरी पर्वत है। ये नीति गांव में है। संजीवनी पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूद है माना जाता है कि हनुमान जी ने इस पहाड़ को टुकडे़ करके इस क्षेत्र विशेष में डाल दिया था। हनुमानजी की पूजा से शांत रहते हैं शनिदेव… यह चर्चित पहाड़ श्रीलंका के पास रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते है इस संजीवनी बूटी के क्या क्या है फायदे।
संजीवनी बूटी के फायदे
इस जड़ी के तरह के फायदे होते है जो की हर तरह की बीमारी को ठीक करने के मदद करते है आयुर्वेद के अनुसार, संजीवनी बूटी में ज्वरनाशक गुण होता है, जो बुखार को कंट्रोल करने में मदद करता है इसमें भूख बढ़ाने वाले और पाचन को दुरुस्त रखने वाले गुण भी मौजूद होते है इससे पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है अपच की समस्या नहीं होती है। पीरियड्स और ल्यूकोरिया जैसी समस्याओं में भी इस जड़ी-बूटी का उपयोग कारगर है।
किस किया जाता है इस्तेमाल
संजीवनी बूटी का इस्तेमाल डॉक्टर से सलाह लेकर करना चाहिए और इसका इस्तेमाल दूध में मिलकर किया जाता है और इसके बाद पानी में मिलकर किया जाता है। आप रात के सोने से पहले भी खा सकते हैं और सुबह खाली पेट भी इसको खा सकते हैं। आपको बहुत जल्द इसका असर दिखने लगेगा। संजीवनी बूटी की सबसे खास बात की कितने भी साल से रखी गयी हो पर पानी में डालने से वो वापस ताज़ी हो जाती है।