Privatisation Banks: देश की केंद्र सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए तेजी दिखा रही है. माना जा रहा है कि सरकार मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक ला सकती है। इससे पीएसबीएस (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक) के निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ती नजर आएगी। इसी कड़ी में दो अर्थशास्त्रियों का लिखा पॉलिसी पेपर चर्चा में आ गया है. इस नीति पत्र में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को छोड़कर सभी बैंकों का निजीकरण किया जाए।
SBI को छोड़कर सभी बैंकों का निजीकरण
यह बात अरविंद पनगढ़िया और पूनम गुप्ता ने पॉलिसी पेपर में कही है। आपको बता दें कि अरविंद पनगढ़िया नीति आयोग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि पूनम गुप्ता प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य हैं। अर्थशास्त्रियों ने पॉलिसी पेपर में तर्क दिया है कि देश के सभी बैंकों का निजीकरण किया जाना चाहिए क्योंकि उनका प्रदर्शन खराब है। हालांकि निजीकरण की जो रिपोर्ट तैयार की गई है वह एसबीआई समेत सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू है। लेकिन भारत की आर्थिक संरचना और राजनीतिक व्यवस्था को देखते हुए, एक बैंक को सरकार के अधिकार के तहत काम करना चाहिए। इसलिए SBI को छोड़कर सभी बैंकों का निजीकरण कर देना चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का जल्द होगा निजीकरण
लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि दो सरकारी बैंकों इंडियन ओवरसीज बैंक ( Indian Overseas Bank), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण हो सकता है। हालांकि इसके लिए सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। आपको बता दें कि कमजोर बैंकों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए सरकार विलय का रास्ता अपनाती है। वहीं, निजीकरण की स्थिति भी इसी वजह से मानी जा रही है।
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