मिल गया है बीमारियों का एंटीडोट, जिससे लिवर इंफेक्शन से लेकर डायबिटीज तक को करता है जड़ से गायब, पढ़िए इस साधारण सी चीज के बारे में…
जाने एंटीडोट के बारे में
आज जिस एंटीडोट के बारे बात कर रहे है उस एंटीडोट का नाम दूधी घास है। जो की जंगलो में पाई जाती है। प्रकृति द्वारा दिए गए पेड़ पौधे में कई तरह के आयुर्वेदिक गुण भी छुपे होते है जिसके बारे में जिनका अगर एक्सपर्ट की सलाह पर उपयोग किया जाए, तो कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। जो कि हर तरह की बीमारियों के लिए रामबाण इलाज इस घास के बारे में कई लोग नहीं भी जानते पर बहुत से लोग विश्वास के बारे में जानते हैं। जैसे बुजुर्ग लोग और पुराने किलों के बारे में बहुत अच्छी तरह से जानते हैं तो चलिए जानते हैं इस दूधी घास के फायदे क्या क्या है?
दूधी घास के फायदे
- अस्थमा और खांसी में फायेदमंद दूधी घास अस्थमा रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है।
- ब्लड शुगर और पेट के लिए फायदेमंद दूधी घास ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद करता है।
- त्वचा के लिए फायदेमंद दूधी घास के सेवन से कई सारी बीमारियां दूर हो सकते हैं।
- इस दूधी घास की आयुर्वेद में बात करे तो इसको सुखाकर इसका चूर्ण बनाकर यदि कोई व्यक्ति उपयोग करता है तो आंतो में रक्त स्त्राव रुक जाता है और अस्थमा का रोगी और अतिसार का रोगी है तो रक्त स्त्राव के समन के लिए इसका उपयोग कर सकता है इसके अलावा डायबीटिज का रोगी बी उपयोग कर सकता है।
दूधी घास की खेती
इस घास की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले दूधी घास के कंदो की जरूरत पड़ेगी क्योंकि कंदो की खेती बीज और कंदो से ही की जाती है। खेतों की अच्छे से जोताई करके और बुवाई करने के बाद मिट्टी में गोबर की खाद में मिलाया जाता है। उसके बाद गड्ढे किए जाते हैं। गड्ढे में फिर बीजों को छिड़का जाता है। उसके बाद पानी से सिंचाई की जाती है। उसके बाद करीबन दो या तीन हफ्ते बाद पौधे निकलना शुरू हो जाते। जैसे की घास आने शुरू हो जाती हैं जो कि हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद घास होती है।
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