Dollar vs Rupee: रुपये में गिरावट से महंगे होंगे मोबाइल और कार

Dollar vs Rupee: डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट का दौर जारी है, लेकिन इसका असर अब मैन्यूफैक्चरिंग लागत से लेकर विदेशों में पढ़ने वाले बच्चों की ट्यूशन फीस तक दिखाई दे रहा है. आज एक डॉलर की कीमत बढ़कर 82.42 रुपये हो गई और इसके साथ ही रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. डॉलर के मुकाबले रुपये में पिछले एक साल में 10 फीसदी की गिरावट आई है।

विशेषज्ञों ने कही यह बात

वित्तीय विशेषज्ञों ने बताया कि विदेश में बच्चों को पढ़ाने वाले कई अभिभावक एक बार में ही तीन-चार साल की फीस जमा कर देते हैं, उन्हें रुपये में गिरावट से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि जो अभिभावक तिमाही रूप से बच्चों की फीस जमा करते हैं और हर महीने उन्हें खर्च भेजते हैं, उन्हें इस गिरावट का असर पता चलने लगा है। विदेश में रह रहे बच्चे को प्रतिमाह एक लाख रुपये भेजने वाले अभिभावकों को अब 1.10 लाख रुपये भेजना पड़ेगा।

25 फीसदी से ज्यादा कलपुर्जों का आयात
रुपये के गिरावट का असर आने वाले समय में ऑटोमोबाइल के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स की कीमतों पर भी देखा जा सकता है। कई प्रकार की कारों और अन्य वाहनों के निर्माण में उपयोग होने वाले 25 प्रतिशत से अधिक पुर्जे दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं।

Dollar vs Rupee

कीमतों पर असर
वहीं, मोबाइल फोन के निर्माण के लिए अभी भी 40 प्रतिशत वस्तुओं का आयात करना पड़ता है। टैब और लैपटॉप अभी भी पूरी तरह से आयातित वस्तुओं से असेंबल किए जाते हैं। अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं का निर्माण भी काफी हद तक आयातित वस्तुओं पर निर्भर करता है। रुपये में गिरावट ऐसे सभी उत्पादों की लागत को बढ़ाएगी और इसका असर आने वाले महीनों में कीमतों पर दिखाई देगा।

सामान भी होंगे महंगे
जानकारों के मुताबिक रुपये के कमजोर होने से कॉस्मेटिक्स के साथ-साथ आयातित कीमती कपड़े और घड़ियां भी महंगी हो जाएंगी. वहीं, पूरी तरह से घरेलू कच्चे माल से निर्मित माल के निर्यातकों को पहले की तुलना में अधिक मुनाफा होगा। उदाहरण के लिए, चाय, कॉफी और अन्य कृषि वस्तुओं के निर्यातकों को भी रुपये के मूल्यह्रास का लाभ मिलेगा।

घरेलू सामान से बने माल के निर्यात पर पहले से ज्यादा मुनाफा
फेडरल बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की शुरुआत के बाद से रुपये में लगातार कमजोरी का रुख बना हुआ है और आने वाले समय में फेड द्वारा दरों में और बढ़ोतरी की संभावना है। इसलिए रुपये में उतार-चढ़ाव के साथ गिरावट का रुख जारी रह सकता है।

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